तिलकोत्सव से बाबा काशी विश्वनाथ के विवाहोत्सव का श्रीगणेश

तिलकोत्सव से बाबा काशी विश्वनाथ के विवाहोत्सव का श्रीगणेश


काशी विश्वनाथ बाबा के विवाह का उत्सव गुरुवार को तिलक चढ़ाने के साथ शुरू हो गया। माघ शुक्ल पंचमी यानी बसन्त पंचमी पर हर साल होने वाला तिलकोत्सव साढ़े तीन सौ साल में पहली बार महंत आवास से दूर दशाश्वमेध स्थित गेस्ट हाउस में चढ़ाया गया। पिछले हफ्ते महंत जी का आवास ध्वस्त होने के कारण उनका परिवार इसी गेस्ट हाउस में रह रहा है। पंचबदन रजत प्रतिमा के विशेष पूजन के साथ उत्सव की शुरुआत हुई।


वस्त्र, आभूषण, फल, फूल आदि से बाबा के श्रृंगार की भव्य झांकी सजाई गई। महंत डॉ कुलपति तिवारी ने तिलकोत्सव की रस्म निभाई। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। हरहर महादेव के जयघोष के बीच बाबा की रजत पंचबदन प्रतिमा को पूजन-अभिषेक के लिए पूर्वाह्न 11 बजे रजत चौकी पर प्रतिष्ठित किया गया। तिलकोत्सव की 356साल पुरानी परंपरा के सापेक्ष हाल के सौ वर्षों में ऐसी धूमधाम नहीं हुई।











परंपरानुसार महंत अवास के दायरे में सिमटी रहने वाली रस्म, परिस्थिति जन्य कारणों से जब आवास के बाहर आई तो गवना उत्सव की भांति तिलकोत्सव में भी काशीवासी सीधे-सीधे शरीक हुए। शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर जालान परिवार इस शोभायात्रा का हिस्सा बने। इन थालों में बाबा के लिए वर के लिए वस्त्र, सोने की चेन, सोने की गिन्नी, चांदी का नारियल सजा कर रखे गए थे।


लोकाचार के अनुसार दूल्हे के लिए घड़ी और कलम के सेट भी एक थाल में सजा कर रखे गए थे। काशीवासियों की भीड़ के साथ दशाश्वमेध मुख्य मार्ग से डेढ़ीनीम स्थित जालान गेस्ट हाउस तक पहुंची। यहां पहुंचने पर महंत परिवार ने उनकी अगवानी की। वृद्धि लगने के कारण महंत परिवार के सदस्य इसके बाद होने वाले पूजन के विधान में शामिल नहीं हुए।


कन्या पक्ष की ओर से केशव जालान, किशन जालान के सदस्यों ने तिलकोत्सव की रस्म पूरी की जबकि की पूजन का विधान संजीव रत्न मिश्र ने संपादित किया। तिलकोत्सव के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। गीतकार कन्हैया दूबे केडी के संयोजन व संचालन में रविंद्र सिंह ज्योति ,विजय बागी ,डा अमलेश शुक्ल, पारुल नंदा, शुभम मिश्र ने भजनों की प्रस्तुति की।














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